Tuesday, 14 January 2014

आतंकवाद से लड़ने का सरकारी तरीका

 - डा0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री
हाल ही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक महत्वपूर्ण खुलासा किया है । उन्होंने कहा कि देश में स्थान स्थान पर जो बम विस्फोट की धटनाएं हो रही हैं, उनके पीछे आतंकवादियों का हाथ है । डा0 मनमोहन सिंह जाने माने रिसर्च स्काॅलर हैं । इस लिये जब किसी घटना की तह तक पहुँचना होता है तो पूरी ईमानदारी से निष्पक्ष शोध पद्वति का सहारा लेकर चैंकाने वाले निश्कर्श निकालते हैं । अपने इसी हुनर के चलते वे दुनिया र में प्रसिद्व है। सारा ारत बम विस्फोटो से थर्रा रहा है । गुप्तचर संगठन इनके पीछे के सूत्रधारों को पकड़ने व पहचानने का प्रयास कर रहे हैं । जाहिर है प्रधानमंत्री ी इस काम में जुटते । सारा देश उनकी खोज का परिणाम जानने को उत्सुक था । तब सिंह साहिब ने बम धमाका किया कि विस्फोटों के पीछे आतंकवादी हैं । डा0 मनमोहन सिंह ने यह खुलासा ी कुछ इस लहजे में किया मानों देश के लोग अी तक यही समझ रहे थे कि ये बम विस्फोट लोक सम्पर्क विाग वाले ही कर रहे थे या कुछ साधु संत कर रहे थे । अब मनमोहन सिंह के बताने पर लोगों को पता चला कि यह विस्फोट साधु संत नहीं बल्कि आतंकवादी कर रहे हैं । 

एक पुरानी कथा है । डा0 मनमोहन सिंह टाईप एक रिसर्च स्काॅलर एक गाँव में चला गया और चलते चलते एक दीवार को देख कर रूक गया । दीवार पर गोबर के उपले पायेे हुये थे । रिसर्च स्काॅलर साहिब दीवार को देख कर ही सकते में आ गये । चिन्तन मुद्रा में चले गये । उनकी जिज्ञासा थी की ैंस दीवार पर कैसे चढ़ी होगी और उसने एक खास अनुशासन में दीवार पर जगह जगह गोबर कैसे किया होगा ? गर्मियों के दिन थे । वे धूप की चिन्ता न करते हुये यह गहरी गुत्थी सुलझाने में लीन थे । पास ही ैंस ी बंधी हुई थी । वे की ैंस को देखते और की दीवार पर चिपके उपलों को । सामने के घर से एक बुढि़या निकली । उसने देखा गर्मी में कोट पैंट पहने एक साहिब दो घंटे से लगातार दीवार की ओर देख रहा है । उसे तरस आया । बोली बेटा क्या देख रहे हो ? मुझे बताओ मैं ी कुछ सहायता करूं । रिसर्च स्काॅलर ने बुढि़या की और बड़ी हिकारत से देखा और बोला, बूढ़ी माई, तुम अनपढ़ निरक्षर हो, मैं विज्ञान की एक बड़ी गहरी गुत्थी सुलझा रहा हूँ । तुम मेरी क्या सहायता कर सकती हो ? बुढि़या घर के अन्दर चली गयी । बात ी ठीक थी । कोट पैंट पहने रिसर्च स्काॅलर की बुढि़या ला क्या सहायता कर सकती थी। दो तीन घंटे बाद बुढि़या फिर बाहर निकली । रिसर्च स्काॅलर फिर उसी तरह ैंस और दीवार के इर्द गिर्द घूम रहा था । बुढि़या से रहा न गया । बोली, बेटा बताओ तो सही । तुम क्या खोज रहे हो । रिसर्च स्काॅलर खीज कर बोला, माई तुम समझोगी तो नहीं, लेकिन फिर ी मैं तुम्हें समझाता हूँ । देखो यह ैंस है । और यह दीवार है । इसमें कोई ऐसी बात नहीं थी, जिसे बुढि़या समझ न सके । इसके विपरीत बुढि़या को सहिब पर ही शक होने लगा । तब साहिब ने दीवार पर लगे उपलों को दिखाते हुये बुढि़या से कहा, आखिर यह ैंस सीधी दीवार पर चढ़ी कैसे ? फिर एक खास ढंग से जगह जगह गोबर कैसे किया ? उसने गोबर ी एक खास क्रम और अन्तराल पर किया है । यही गुत्थी मैं सुलझाने की कोशिश कर रहा हॅूं । बुढि़या को यकीन हो गया कि साहिब की कोई चूल ढीली है । उसने पास ही पड़े ैंस के गोबर को लेकर दीवार पर एक और उपला पाथ दिया और बोली, बेटा, ये सब कुछ ऐसा हुआ । रिसर्च स्काॅलर ताली बजा बजा कर हंसने लगा कि उसने विज्ञान की एक गहरी गुत्थी सुलझा ली थी । 

लगता है प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ी काफी माथा पच्ची के बाद बम विस्फोटों की गहरी गुत्थी सुलझा ली है । उन्होंने अपना नया थीसिस प्रस्तुत किया है कि विस्फोट दरअसल में आतंकवादी करते हैं । पिछले दिनों मद्रास विश्वविद्यालय ने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को डाक्टरेट की उपाधि ी दी है । अी तक यह पता नहीं चला कि यह थीसिस दोनों का सांझा है या अकेले सिंह साहिब का ही है । वैसे मनमोहन सिंह ने अपने इस थीसिस को राष्ट् के नाम समर्पित मद्रास विश्वविद्यालय से डाक्टरेट की उपाधि लेने के बाद ही किया है ।

 प्रधानमंत्री शायद यह नहीं जानते कि आतंकवादियों के इन कारनामों को उनके और उनके गृहमंत्री शिवराज पाटिल के सिवा सी जानते हैं । प्राईमरी स्कूल के बच्चे ी । आतंकवादी तो ारत में पूरे जोर से अपना काम कर ही रहे हैं और उसमें ारत के नागरिक बेवजह मर ी रहे हैं, लेकिन मनमोहन सिंह उनको रोकने के लिए क्या कर रहे हैं ? यदि प्रधानमंत्री मद्रास विष्वविद्यालय से डाक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने से पहले इस थीसिस का ी खुलासा कर देते तो शायद आतंकवादी बम विस्फोट कर ही न पाते और नागरिकों को सुरक्षा ी मिल जाती ।



लेकिन प्रधानमंत्री की एक बात के लिए तो तारीफ करनी ही पड़ेगी कि वे अपने स्टैंड पर पक्के रहने वाले महापुरूश हैं । जिस प्रकार आतंकवादी बम विस्फोट करने में डटे हुए हैं उसी प्रकार प्रधानमंत्री ी डटे हुए हैं कि चाहे दस क्या सौ स्थानों पर ी बम विस्फोट हो जायें वे पोटा कानून लागू नहीं करेंगे । एक बार गिरफत में आ जाने पर आतंकवादी पोटा के कारण ाग नहीं सकता । लेकिन सरकार वजिद़ है । आतंकवादी चाहे ाग जाये, पोटा को लागू नहीं किया जायेगा । अपनी अपनी जिद का सवाल है । अब आतंकवादी ी मनमोहन सिंह की जिद़ को पहचान गये हैं । इसलिए उनका काम और ी आसान हो गया है ।
  
आतंकवाद और आतंकवादियों से लड़ने का मनमोहन सिंह का एक और नायाब तरीका है । आतंकवादियों के हाथों जब कोई जवान शहीद हो जाता है तो प्रधानमंत्री उसके घर वालों को चिट्ठी लिखते हैं । चिट्ठी में क्या लिखते हैं, इसका तो अी पता नहीं चला लेकिन अनुमान लगाया जा सकता है कि उसमें उनकी शहादत को सलाम करने के बाद लिखते होंगे कि ऐसे शहीदों की बदौलत ही देश बचा हुआ है । प्रधानमंत्री समझते होंगे कि इससे शेष जवानों का आतंकवादियों से लड़ने का हौसला बढ़ता होगा । अी ऐसी ही चिट्ठी उन्होंने कल दिल्ली में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गये इंस्पैक्टर मोहन चन्द शर्मा के परिवार को लिखी है । ऐसे तगमे और चिट्ठियाँ संसद पर हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों के परिवारों को ी यकीनन मिली होंगी ।

लेकिन दुर्ाग्य से प्रधानमंत्री चिट्ठी लिखने के बाद आतंकवादियों को बचाने में जुट जाते हैं । उनकी बी-टीम मसलन तीस्ता सीतलवाड, अरूंधती राय, महेश ट्ट, गुलाम नबी आजाद इत्यादि तो खुलकर ही सामने आ जाते हैं और अफजल गुरू को बचाने के लिए दिन रात एक कर देते हैं । प्रधानमंत्री के मंत्रीमंडलीय सहयोगी लालू यादव और रामविलास पासवान तो खुल कर ही सिमी के पक्ष में हो जाते हैं ।

इतना ही नहीं जब आतंकवादी सरकार से यह शिकायत करते हैं कि पुलिस, सी0आर0पी0 और सेना के जवान उनके मानवाधिकारों का हनन कर रहे हैं तो मानवाधिकार समूह तो सक्रिय होते ही हैं मनमोहन सिंह की सरकार ी सशó बलों के पीछे हाथ धो कर पड़ जाती है । आखिर आतंकवादी के ी अधिकार हैं । उनकी रक्षा ारत सरकार नहीं करेगी तो और कौन करेगा । सरकार का सशó बलों को स्पष्ट आदेश है कि आतंकवादियों को हर हालत में खदेड़ो लेकिन गोली मत चलाओ, गोली चलाने में उनके मानवाधिकारों का हनन होता है । इसी अपराध में पिछले दिनों सरकार ने कश्मीर में सी0आर0पी0एफ0 के डी0ीजी0पी0 का अलंकरण रोक दिया और उनका तबादला ी कर दिया । यदि कोई आतंकवादी पुलिस मुठेड़ में मारा जाता है तो मनमोहन सिंह सरकार बाकी सारे काम छोड़ कर उन पुलिस अधिकारियों को फांसी पर चढ़ाने के लिए लालायित हो जाती है । पता नहीं कितने पुलिस अधिकारी आतंकवादियों को मारने के अपराध में जेलों में बंद हैं और कितनों न आत्महत्या कर ली है । ारत सरकार का आतंकवाद से लड़ने का यह नायाब तरीका है । इसमें देश बचे ने बचे लेकिन कांग्रेस को लगता है वह मुस्लिम वोटों की फसल तो काट ही लेगी ।

(नवोत्थान लेख सेवा हिन्दुस्थान समाचार)



21-09-2008

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