डा. कुलदीप चन्द
अग्निहोत्री
गुजरात को लेकर पत्रकारिता जगत दुविधा में है। वह दो खेमों में बंटा हुआ है।
एक खेमा वह है जिसकी धारा गुजरात की जनता के बीच में से होकर गुजरती है। इस कारण
से उसके सुख-दुःख से आप्लावित होती है। यह धारा उन तमाम गुण दोषों को अपने साथ
लेकर चलती हैजो गुण दोष गुजरात की जनता में पाए जाते है। साधारणीकरण किया जाए तो
गुजरात की जनता से ारत की जनता ही अिप्रेत है। इस खेमे में पत्रकार और
पत्रकारिता का वह समूह है जो अपनी ाषा में लिखता ी हैऔर अपनी ाषा में सोचता ी
है।
पत्रकारों का दूसरा खेमा वह है जो ारतीय जनता के सुख-दुःख के बीच से होकर
नहीं गुजरता। इसलिए इसकी अिव्यक्ति में सामान्य जनता का हर्ष-शोक, सुख-दुःख, उल्लास-निराशा ऐसा कुछ ी
नहीं है। लेकिन वह चाहता कि ारतीय जन उसकी अवधारणाओं के अनुसार ही आचरण करे। यदि
वह ऐसा नहीं करता तो इनकी दृष्टि में वह सबसे बड़ा अपराधी है। यह खेमा अपने बनाए
हुए या किसी के सिखाए हुए या फिर लम्बे प्रशिक्षण से प्राप्त चिन्तन के स्वनिर्मित
धरातल पर दृढ़ता से अवस्थित है। इस खेमे की कुछ अपनी निश्चित अवधारणाएं हैं,
दिशाएं हैं और
दृष्टि है। यह खेमा ारतीयता का ोक्ता नहीं हैंबल्कि दूर बैठा द्रष्टा है जो केवल
देखता हैऔर वह ी तटस्थ ाव से । ारतीय जनता का आचरण और व्यवहार उसके लिए दोनों
ही हेय हैं। इस जनता के लिए यह समूह आमतौर पर अनपढ़ ारतीय जनता, पिछड़ी हुई ारतीय जनता,
अन्धविश्वासों से
घिरी हुई ारतीय जनता, और कहीं ऐसे समूह को बहुत क्रोध आ गया। तो मूर्ख ारतीय
जनता जैसे शब्दों का प्रयोग ी करता है। यदि इस खेमे के लिए किसी को प्रतीक के रूप
में चुनना होतो नीरद चैधुरी से अच्छा प्रतीक और कोई नहीं मिलेगा। इनकी दृष्टि में ारत
लोकतंत्र के काबिल है ही नहीं । लेकिन इनका दुर्ाग्य है कि इन बेचारों को
लोकतंत्र झेलना पड़ रहा है। जिस प्रकार की माॅल, माॅडल टाउन और वाईट क्लब में
बैठे फिरंगियों को फटे हाल ारतीय जनता को झेलना पड़ता था। लोकतंत्र का तो ये लोग
कुछ बिगाड़ नहीं सकते लेकिन नरेन्द्र मोदी को तो घेर ही सकते हैं। क्योंकि
नरेन्द्र मोदी इसी लोक की शक्ति से उपजा है। यदि किसी ढंग से नरेन्द्र मोदी को घेर
लिया जाए तो कालांतर में लोक को मारना ी आसान हो जाएगा। ेजरा कल्पना कीजिए जब
दिल्ली से ये पत्रकार वाशिंगटन पोस्ट या न्यूयार्क टाइम्स को ये खबर ेजेंगेतो
वहां किस प्रकार खुशी का आलम छा जाएगा।
लेकिन इतनी बड़ी लड़ाई बोरी बंदर की बुढिया या फिर अंग्रेजी की पुडि़या अकेले
थोड़े ही लड़ सकती है। गोरों का धर्म हैकि वे रणूमि में अपने सिपाहियों को अकेला
नहीं छोड़ते। हर संकट में उनका साथ देते है। जब तक निता रहे तब तक पर्दे के पीछे
से और जब संकट गहरा हो जाएतो टाट का पर्दा ी उठा देते है। न्यूयार्क टाइम्स के
देश ने ऐसा ही किया है। अमेरिका ने नरेन्द्र मोदी को वीजा देने से इन्कार कर दिया
था। चाहे यह घटना पुरानी हो गई है परन्तु इसके पीछे के कारण पुराने नहीं हुए है।
वे अी ी उतने प्रासंगिक हैं और शायद आने वाले समय में और ी अधिक प्रासंगिक हो
जाएंगे। अमेरिका का कहना है कि नरेन्द्र मोदी गुजरात में उस ढंग से राज्य नहीं कर
रहे जिस ढंग से अमेरिका चाहता है। आखिर अमेरिका बड़ा देश है। वह बाकी देशों को
इतना बताने का अधिकार तो रखता ही है कि उन्हें किस प्रकार से राज्य चलाना चाहिए।
अमेरिका ारत के राज्यों में बने कानूनों का पुनरीक्षण करने का अधिकार ले रहा है।
नरेन्द्र मोदी को वीजा न देने में एक कारण गुजरात विधानसा में पारित कुछ
अधिनियमों को हवाला ी दिया गया थाऔर शायद गुजरात की पाठ्य पुस्तकों में शामिल कुछ
अध्यायों पर आपŸिा ी की गई थी। आखिर अमेरिका को ारत के कानूनों के पुनरीक्षण का अधिकार
किसने दिया? ारतीयों को लग रहा था कि ारत सरकार एक मत से
अमेरिका को स्पष्ट चेतावनी दे देगी कि अमेरिका ारत के आंतरिक मामलों में
हस्तक्षेप न करे। लेकिन लोग स्तब्ध रह गए जब कांग्रेस, साम्यवादी और पत्रकार जगत की
बोरी बंदर वाली लाॅबी हिजड़ों की तरह हाथ हिला-हिला कर प्रसन्नता जाहिर करने लगी -
अब पता चलेगा नरेन्द्र मोदी को । अब उसका वास्ता पड़ा हैअमेरिका से । महमूद गजनबी
की सेनाएं जब गुजरात में सोमनाथ मंदिर की ओर बढ़ रहीं थीं तो रास्ते के छोटे-छोटे
राजा ी हिजड़ों की तरह ही तालियां बजा रहे थे- अब पता चलेगा सोमनाथ नरेश ीमपाल
को ।
यदि अमेरिका केवल बंदर घुड़की ही दे रहा होता तो शायद लोग उसकी अवहेलना ी कर
देते। लेकिन उसकी घुड़की के पीछे तो बम बरसाते जहाज हैं और बुश के हाथ का इंतजार
कर रहे बटन हैं। अब बहुत लोगों को यह रहस्य समझ में आ रहा है कि बुश अिवादन करते
हुए हाथ क्यों हिलाते हैं। जानकारों का कहना है कि हाथ दिखाते हैं। ईराक धोखा खा
गया। अमेरिका ने उसे बताया कि राज्य किस प्रकार करना चाहिए। सद्दाम हुसैन नहीं
माना । ईराक का जो हश्र अमेरिका ने किया है उससे अनेक देश हिलने लगे हैं। अलबŸाा यह निर्णय प्रत्येक
देश को स्वयं ही करना है कि ऐसे संकट काल में उसे हिलना है या स्थिर खड़े रहना है।
चीन स्थिर खड़ा है। लेकिन दुर्ाग्य से ारत हिलने लगा है। विश्वास नहीं होता कि
इतना पुराना राष्ट्र जिसका इतना गौरवशाली इतिहास है, वह ेइस प्रकार हिलना शुरू कर
देगा। ेअमेरिका ी यह जानता होगा इसलिए उसने इसका बंदोबस्त ी समय रहते ही कर लिया
था। उसने पहले ही ऐसे समय की कल्पना करके ारत की बागडोर सोनिया गांधी के हाथों
में थमा दी थी। अब यह ारत चंद्रगुप्त और चाणक्य का ारत नहीं है। विजय नगर
साम्राज्य के संस्थापकों का ारत नहीं है। शिवाजी और महाराणा प्रताप का राज्य नहीं
है। लचित बडफूकन और गुरू गोबिन्द सिंह का ारत नहीं है। सरदार पटेल और लाल बहादुर
शाóी का ारत
ी नहीं है। यह ारत सोनिया गांधी का ारत है। इसे सोनिया गांधी का ारत बनाया ही
इसलिए गया है ताकि ठीक समय पर यह हिलना शुरू कर दे। सचमुच ारत हिल रहा है।
अमेरिका की छाया में हिल रहा है। जब गुरू गोबिन्द सिंह और लाल बहादुर शाóी का ारत पाकिस्तान के
आतंकवाद से रोज लहू-लुहान हो रहा हैऔर जी जान से उसका मुकाबला कर रहा ेहै तो
सोनिया गांधी का इंडिया पाकिस्तान के परवेज मुशर्रफ के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ
लड़ने का पाखंड ेकर रहा है। अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरत है, इंग्लैण्ड को ी
पाकिस्तान की जरूरत है, चीन को ी पाकिस्तान की जरूरत है। इसलिए ये देश पाकिस्तान
को गोद में लिए घूमेंगे। रही बात आतंकवाद की । अमेरिका ने मुशर्रफ को स्पष्ट बता दिया
है कि इधर अमेरिका की ओर आतंकवादी क्यों ेजते हो? साहब की नींद में खलल पड़ता है।
उधर पड़ोस में हिन्दुस्तान है न, उसमें खेलो। परवेज मुशर्रफ आदमी समझदार है। वह जानता है कि
गोरों ने पाकिस्तान बनाया ही इसलिए था ताकि वह ारत के आंगन में खेल-खेलकर बम
फोड़ता रहे। इसलिए उसने अंक्ल सैम के सामने कान पकड़े और फिर अपने पुराने ेखेल में
मशगूल हो गया । अंक्ल सैम का दिल बहुत बड़ा है। एक बार गलती मान ली तो उन्होंने
फिर गोदी में उठा लिया। उधर वह बेवकूफ सद्दाम हुसैन। अंक्ल सैम को ही आँखे दिखाने
लगा । अब कम्बख्त जेल में सड़ रहा है।
साहब के बच्चे को सब प्यार करते हैं। पाकिस्तान गोरे साहिबों का बच्चा है ।
गोरी नस्ल के तौर तरीकों को सोनिया गांधी से ज्यादा कौन जान सकता है। इसलिए सोनिया
गांधी का ारत और अंक्ल सैम की गोद में खेल रहे परवेज मुशर्रफ का पाकिस्तान मिलकर
आतंकवाद के खिलाफ लड़ेंगे। लगता है अमेरिका की रणनीति ठीक उसी प्रकार चल रही है
जैसे उसने बहुत साल पहले बनाई होगी। लेकिन बीच में नरेन्द्र मोदी आ गया। जब सोनिया
गांधी का ारत अमेरिका के एक इशारे पर हिलता है तो नरेन्द्र मोदी सोमनाथ के आगे
अटल खड़ा रहता है । अपने लोकसा वाले सोमनाथ दा नहीं बल्कि गुजरात ही नहीं,
सारे ारत खंड के
श्रद्धा केन्द्र सोमनाथ । वही ोले शिव बाबा । नरेन्द्र मोदी हिलता नहीं है । यह
अमेरिका की समस्या ी है, इटली की सोनिया गांधी की समस्या ी हैऔर बोरी बंदर की
बुढिया की समस्या ी है । नरेन्द्र मोदी आतंकवाद से सचमुच लड़ रहा है और सोनिया
गांधी की योजना आतंकवाद से पाकिस्तान से मिलकर लड़ने की है। नरेन्द्र मोदी ने चोर
को पहचान लिया हैऔर वह री दोपहरी में चिल्लाता हुआ सड़कों पर उतर आया है। चोर की
शिनाख्त हो जाने के बाद सोनिया गांधी की सरकार उस चोर को छिपाना ी चाहती है और
बचाना ी। मुम्बई के बम धमाकों में पुलिस को पाकिस्तान के शामिल होने के प्रमाण
मिल रहे हैं। लेकिन अपने प्रधानमंत्री पाकिस्तान के साथ मिलकर संयुक्त रूप से
आतंकवादी गतिविधियों की जांच के समझौते कर रहे है। हो सकता हैकल सोनिया गांधी की
सरकार आई.एस.आई. को ही मुम्बई के बम धमाकों की जांच के लिए बुला ले। आखिर अमेरिका
ने आदेश जो दिया हैकि तुम ारत और पाकिस्तान मिलजुलकर आतंकवादियों की जांच पड़ताल
करो। नरेन्द्र मोदी की यही समस्या है। वे आतंकवादियों को पकड़ने के लिए आई.एस.आई.
की सहायता लेने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए इस लड़ाई में जैसा कि हमने पहले ऊपर
जिक्र किया है पत्रकारों के ी दो खेमे बन गए हैं। एक ऐसा खेमा जो पहले ही
न्यूयार्क या मास्को की गर्मी सर्दी से नजले जुकाम का शिकार होता थाऔर दूसरा खेमा
जो ारत की मिट्टी से ही मटमैला रहता है। मटमैले लोग नरेन्द्र मोदी के साथ हैं और
गोरे लोग अमेरीका और सोनिया गांधी के साथ हैं । याद रखें अमेरिका पाकिस्तान के साथ
है। गोरी नसलों ने ारत का जो हश्र किया है अी उसको बीते बहुत ज्यादा अरसा नहीं
हुआ है। नरेन्द्र मोदी इस नई लड़ाई में व्यक्ति नहीं प्रतीक बनकर उरे हैं। दशरथ
के वनगमन का प्रसंग पुनः उर रहा है। लोग कैकेयी की ेतलाश कर रहे हैं। लो इधर
हल्ला मचा कि कैकेयी की शिनाख्त हो गई है। डर के मारे दलालों की एक पूरी फौज
नरेन्द्र मोदी को घेरने में जुट गई है क्योंकि पक्की खबर है कि यह शिनाख्त
नरेन्द्र मोदी ने ही की है। ारत की जनता पकड़ो-पकड़ो का शोर मचा रही है। चारों ओर
आपाधापी मची हुई है।
(हिन्दुस्थान समाचार)
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