Tuesday, 14 January 2014

बाबा रामदेव के बहाने भारतीयता पर प्रहार


- डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री
सोनिया गांधी की सरकार ने बाबा रामदेव को एक नोटिस जारी कर दिया है। नोटिस ारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किया है। नोटिस के अनुसार सरकार ने एक कानून बनाया हुआ है, जिसके अनुसार जो व्यक्ति यंत्र-मंत्र या चमत्कार के बल पर बीमारियों को दूर करने का दावा करता है वह धोखाधड़ी करता है और ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करना सरकार का कर्तव्य है। सरकार का यह कर्तव्य अंग्रेजों की सरकार ने अपने वक्त में तय किया था। लेकिन अंग्रेजों के चले जाने के बाद ी ारत सरकार उसे बंदरिया के बच्चे की तरह ढो रही है। यह मामला कुछ-कुछ उसी प्रकार का है जब बदकिस्मत गैलिलियो ने दावा कर दिया था कि धरती सूर्य के इर्द-गिर्द घूमती है। उस वक्त की सरकार ने यह कानून पास कर रखा था कि सूर्य धरती के इर्द-गिर्द घूमता है। यह बात बाईबिल मंे लिखी गई है। जाहिर है कि बाईबिल मंे जो कानून लिखा गया है उसकी रक्षा करना सरकार का कर्तव्य था और सरकार ने उसकी रक्षा गैलिलियो को जेल में डालकर की थी। यह ध्यान में रखना होगा  कि गैलिलियो को जेल में डालने वाले जो लोग थे उन्हीं के वंशज आज कल वैटिकन देश में राज्य कर रहे हैं। क्या इसे केवल संयोग कहा जाए कि सोनिया गांधी का देश उसी वैटिकन देश को पालता पोसता है। अंग्रेज इस देश में ऐसे कानूनों की बाईबिल छोड़ गए हैं जिनमें सूर्य धरती के इर्द-गिर्द घूमता है। ारत सरकार शायद इस कानून का प्रयोग बाबा रामदेव पर करना चाहती है। बाबा रामदेव का दोष यह है कि वे यह कहते घूम रहे हैं कि योग, प्राणायाम और साधना से अनेक  बीमारियों को रोका जा सकता है या फिर उनका ईलाज ी किया जा सकता है। बाबा रामदेव इन बीमारियों में कैंसर का नाम ी लेते हैं। सोनिया गांधी की सरकार की दृष्टि में योग, प्राणायाम और साधना इत्यादि के बल पर स्वस्थ ारत की कल्पना करना चमत्कार और जादू-टोने को बढ़ावा देने के समान ही है। इसलिए बाबा रामदेव को गैलिलियो की तरह जेल में डालना जरूरी है। क्योंकि सरकार की दृष्टि में स्वस्थ ारत की रचना केवल बहुराष्ट्रीय दवाई निर्माता कंपनियां ही कर सकतीं हैं। उन्हीं के पास बीमारियों को दूर करने का लाइसेंस है। यदि लोग योग और प्राणायाम की ओर आकृष्ट होने लगे तो अरबों के इस औषधि व्यवसाय का क्या होगा? ारत सरकार की प्राथमिकता इन औषधि निर्माता कंपनियों की सुरक्षा करना है। ये कंपनियां चाहे देशी हों या विदेशी। अपने यहां तो वैसे ी वसुधैव कुटुंबकमकहा गया हैै। इटली की सोनिया गांधी इस देश की सरकार पर नियंत्रण कर सकती है तो उनकी प्राथमिकता में बहुराष्ट्रीय औषधि निर्माता कंपनियों की सुरक्षा तो रहेगी ही। सरकार ने स्वस्थ ारत की रचना की योजना जिस प्रकार से बनाई हुई है उसे अमेरिका का समर्थन ी प्राप्त है और वैटिकन का ी। प्रयोगशालाओं की जांच कह रही है कि अमेरिका की पेप्सी कोला और कोका कोला कंपनियां ारत में जो परोस रही हैं उसमें जहर है और उससे ारतीयों के स्वास्थ्य पर बुरा प्राव पड़ता है। परंतु सरकार अपने स्टैंड पर चट्टान की तरह अटल है। अमेरिका की कंपनियां जहर ी दे तो ारतीयों को उसे अमृत समझ कर पीना चाहिए। हां, यदि फिर ी बीमार हो जाएं तो औषधि निर्माता कंपनियों की पूरी फौज तैयार खड़ी है।
वैसे जिन दिनों अंग्रेज इस देश में आए थे उन्हें इस देश की हर चीज जादू टोना और चमत्कार ही लगती थी। लोग नीम की पŸिायाँ उबालकर चमड़ी के अनेक रोगों से छुटकारा पा लेते थे और जड़ी-बूटियाँ पीस कर उसके इस्तेमाल से रोग मुक्त हो जाते थे। ऐसा नहीं कि इन उपायों से दुनिया का हर रोग विदा हो जाता था। लेकिन रोग मुक्ति के लिए ऐसे अनेक उपाय कारगर सिद्ध होते थे। उनके पीछे की वैज्ञानिकता की चिन्ता आम आदमी को नहीं थीऔर उसकी जरूरत ी नहीं थी क्योंकि मतलब रोग से मुक्ति का था और वह पूरा हो रहा था। अंग्रेजों को एक पूरे के पूरे सिस्टम को नष्ट करना था इसके लिए उनकी दृष्टि में इस प्रकार के टोटके चमत्कार ही थे। झाड़ फूँक और ऐसे अनेक तरीकों से अनेक मानसिक बिमारियों का मनोवैज्ञानिक इलाज हो जाता था। लेकिन ओझा अंग्रेजों की दृष्टि में जादू टोना करने वाला अपराधी बन गया। चिकित्सा की आयुर्वेद पद्धति को उन्होंने नीम हकीम की संज्ञा दे डाली । चिकित्सा के इस पूरे सिस्टम को नष्ट करके उन्होंने जिस ऐलोपैथी पद्धति की स्थापना की उस पद्धति से अरबों का औषधि निर्माण व्यवसाय ी जुड़ा हुआ था। इसलिए इस पद्धति की रक्षा के लिए ारतीय पद्धति को अंग्रेजों के लिए धिक्कारना ी जरूरी था और उसके प्रति आस्था को कम करना ी जरूरी था। उस समय अंग्रेजों की दृष्टि में योग और प्राणायाम ी जादू टोना ही समझे जाते थे।

परंतु ारत के सौाग्य से गोरी नस्लों का कथन अंतिम कथन नहीं है। विज्ञान ज्यों-ज्यों प्रगति करता है वह अज्ञात के रहस्य ी खोलता हैऔर पुरानी अवधारणाओं की वैज्ञानिक व्याख्या ी करता है। योग और प्राणायाम और हिन्दुस्तान में बिमारियों के इलाज के लिए अपनाये जा रहे अनेक टोटकों के पीछे के वैज्ञानिक रहस्य ज्यों-ज्यों उजागर हो रहे हैं त्यों-त्यों यूरोपीय नस्लों द्वारा इस संबंध में स्थापित पुरानी धारणाओं पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। बाबा रामदेव ने योग और प्राणायाम से होने वाले लाों की सैद्धान्तिक व्याख्या में अपना समय न नष्ट करके जन-जन में जाकर उसके व्यवहारिक प्रयोग किए । स्वााविक है उससे लाखों लोगों को फायदा मिला और अनेक ऐसे रोगियों को ी फायदा मिला जो ऐलोपैथी अस्पतालों का चक्कर लगाते-लगाते निराश हो चुके थे और इस प्रक्रिया में जीवन से ी निराश हो गए थे। वैसे तो इसे एक लिहाज से चमत्कार ही कहना चाहिए। इसी चमत्कार के कारण सोनिया गांधी की सरकार बाबा रामदेव की गरदन पर शिकंजा कसना चाहती है। बाबा रामदेव बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए ही चुनौती नहीं बन रहे बल्कि वे सिस्टम के लिए ी चुनौती बन गए हैं। वे उसका प्रतिनिधित्व करने लगे हैंजो आम आदमी की दृष्टि में ारतीयता है। जब इटली की सोनिया गांधी इतने सालों की मेहनतसे ारत के सŸाा सिंहासन के शीर्ष तक पहुँची है तो उसे एक अदना सा गवे कपड़े पहनने वाला ारतीय चुनौती दे दे इसे गोरी नस्लें कैसे सहन कर सकती हैं। इसलिए बाबा रामदेव को पछाड़ने के लिए पहले वृंदा करात को अखाड़े में उतारा गया। शायद परदे के पीछे छुपे लोगों को इस बात का अहसास नहीं था कि बाबा रामदेव के पक्ष में वे सी लोग इक्कट्ठे हो जाएंगे जो शक्ल सूरत से ी ारतीय हैं और चिंतन से ी। इसलिए अब दूसरी पारी में सरकार खुद ही अखाड़े में उतर आयी है। सरकार और उसका कानून जो करना चाहता है करे इस पर किसी को कोई ऐतराज नहीं हो सकता परंतु बाबारामदेव को घेरने से पहले सरकार को इस बात का जवाब तो देना ही होगा कि जब हेनीबिन ईसामसीह के नाम पर बैंगलोर में मंच पर उछल कूद करते हैंऔर केवल छू देने मात्र से, उनका दावा है कि लंगडे ागने लगते हैं और कैंसर का तो कहीं अता-पता ी नहीं मिलतातो सोनिया गांधी की सरकार का यह कानून मौन क्यों हो जाता है? जिस वक्त हेनीबिन बैंगलोर में अपना यह जादू टोना दिखा रहे थे तो उनकी आगवानी के लिए सोनिया गांधी की कांग्रेस के उस समय के कर्नाटक के मुख्यमंत्री अपने पूरे मंत्रीमंडल समेत मंच के नीचे हेनीबिन की अभ्यर्थना में नतमस्तक थे। वे हेनीबिन के उस जादू टोने की गारंटी ले रहे थेया उसे सरकारी प्रमाण पत्र ेंट कर रहे थे? मदर टरेसा को जब संत घोषित किया गया तो हिन्दुस्तान के पादरी, कार्डिनल और आर्क बिशप चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि मदर टरेसा की आत्मा ने ही असाध्य रोग से पीडि़त एक महिला की बिमारी दूर कर दी। क्या यह जादू टोने और चमत्कारों को प्रोत्साहन देना नहीं था? चर्च की मंडलियाँ देश के गांव-गांव में घूमकर और बड़े-बड़े विज्ञापन छाप कर यह घोषणा करती घूम रही हैंकि उनकी सा में आ जाने से और ईसा मसीह के चित्र को छू लेने मात्र से दुनिया र की बिमारियाँ दूर हो जाती है। ारत सरकार की दृष्टि में यह पाखंड और जादू टोना है या फिर यह ी ऐलोपैथी की एक ब्रांच है? वैसे एक और जिज्ञासा ी उरती है कि वेटिकन में योग को क्या अी ी जादू ही मानता है? बाबा रामदेव के बहाने ारत सरकार ारतीयता पर ही प्रहार कर रही है जिसका उŸार समय रहते ही ारतीयों को देना होगा। 
(हिन्दुस्थान समाचार)



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