डाॅ0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री
मणिपुर में ज्यादातर मैतेयी लोग रहते हैं । मैतेयी वैश्णव सम्प्रदाय के उपासक
हैं । वैश्णव में ी वे कृश्ण गत है। मणिपुर के साथ ही नागालैंड लगता है । मणिपुर
में प्रवेश का रास्ता इसी नागालैंड से होकर जाता है । राश्ट्र्ीय राज मार्ग 39
जिसे इम्फाल-दीमापुर राजमार्ग कहा जाता है एक प्रकार से मणिपुर की प्राण रेखा है ।
इसी प्रकार राश्ट्र्ीय राजमार्ग 53 जिसे इम्फाल सिलचर राजमार्ग कहा जाता है मणिपुर
की दूसरी प्राण रेखा है । यह दोनों राजमार्ग नागालैंड में से होकर गुजरते है।
जाहिर है मणिपुर जाने के लिए नागालैंड में से गुजरना ही होगा । और मणिपुर से किसी
और स्थान पर जाने के लिए ी नागालैंड में से होकर ही जाना होगा । यह तो रही ूगोल
की बात । अब संस्कृति के बात करें ।
अंग्रेजों के वक्त से ही यह प्रयास चला आ रहा है कि पूर्वाेŸार ारत के सी राज्यों, जिन्हें अब सात बहने कहा जाता है, को ईसाई मत में दीक्षित कर दिया जाये । यदि यह काम
ठीक ढंग से हो जाये तो ारत के पूर्वाेŸार
में एक अलग इसाई राज्य, जिसे सुविधा से
चर्चस्तान ी कहा जा सकता है, स्थापित किया जाये ।
पशिमोŸार में पाकिस्तान और पूर्वाेŸार में चर्चस्तान । लेकिन अंग्रेज केवल पाकिस्तान ही
बना पाये, चर्चस्तान का उनका
स्वपन्न अधुरा रह गया । अलब्बता उनके चले जाने के बाद ी चर्च ने इन सात राज्यों
में मतांतरण का अपना काम पूरी तेजी से जारी रखा । ारत सरकार ने ी प्रत्यक्ष अथवा
अप्रत्यक्ष रूप से इस काम में चर्च की रपूर सहायता की ारत सरकार इसे जनजातिय
संस्कृति बचाने का नाम दे रही थी और चर्च इसे जन जातियों को सभ्य बनाने का अियान
बता रहा था । लेकिन कुल मिला कर चर्च ने नागालैंड, मेघालय,मिजोरम इत्यादि को तो
इसाई बना ही लिया । मणिपुर में ी कुछ जनजाति के लोग चर्च की शरण में चले गये
लेकिन बहुसंक्ष्यक मैतायी लोगों ने अपना सम्प्रदाय और आस्था छोड़कर इसाई होने से
इंकार कर दिया । कई दशक पहले मैतई लोगों में से ी कुछ गुसैल युवकों ने जनमुक्ति
सेना का गठन कर लिया था । और अलगाववादी चेतना का अियान चलाया था । इस मक्तिसेना
के सेनानायक विष्वनाथ पकड़े गये थे और जेल में मौत की प्रतिक्षा कर रहे थे । लेकिन
किसी घटनाक्रम में वे जेल से छुट गये और बाद में उन्होंने मणिपुर विघानसा का
चुनाव लड़ा और उसमें जीत ी गये । विष्वनाथ ने जेल में रहते हुए अपनी आत्मकथा लिखी
थी जो बाद में प्रकाशित हुई ।
उसमें उन्होंने कहा था कि केन्द्र सरकार पूर्वाेŸार ारत में चर्च को सी सुविधाएं प्रदान कर रही है
। लेकिन मणिपुर के मैतयी लोगों से हर क्षेत्र में ेदाव हो रहा है । उनके
मानवाधिकारों की बात तो छोडि़ये उनके दैनिक जीवन से ी खिलवाड़ किया जा रहा है ।
इसके आगे विष्वनाथ ने इस ेदाव के कारण का खुलासा किया । उनके अनुसार केन्द्र
सरकार मैतयी लोगों से ेदाव कर रही है, उनकी उचित मांगों पर ी कान नहीं धर रही इसका एकमात्र कारण यही है कि मैतयी
हिन्दु है और चर्च के तमाम प्रलोनों के बावजूद वे इसाई नहीं बने । यदि मैतयी आज
इसाई बन जाते हैं तो केन्द्र सरकार उन पर ी रहमतों की बोछार कर देगी ।
इस पृश्ठ ूमि में पिछले तीन महीनों से मणिपुर में जो कुछ हो रहा उसे समझने का
प्रयास करना होगा । नागालैंड में नैष्नलिस्ट सोशलिस्ट काॅसिल आफ नागालैंड पिछले कई
दशकों से नागालैंड को ारत से अलग करवाने का हिंसक आंदोलन चला रहा है । इस आंदोलन
को पशिमी देशों से पैसा तो मिलता ही है चर्च ी इसकी रपूर सहायता करता है । इस
आंदोलन के महासचिव टी0 मोबहा मणिपुर के कुछ जिलों को ी नागालैंड में शामिल करवाने
चाहते हैं ताकि स्वतंत्र ग्रेटर नागालैंड की स्थापना की जा सके । जाहिर है िकमणिपुर के लोग इसका विरोध करते हैं । लेकिन
केन्द्र सरकार इसी टी0 मोबहा से दिल्ली में या दिल्ली से बाहर पांच सितारा होटलों
में आमतौर पर लम्बी लम्बी बात चीत करती रहती है । इस बार मोबहा ने मणिपुर के
उन्हीं जिलों में जाने की इच्छा व्यक्त की जिन्हें वे ग्रेटर नागालैंड में शामिल
करवाना चाहते हैं । ारत सरकार ने तो इसकी सहर्श अनुमति दे दी । परन्तु मणिपुर के
मुख्यमंत्री इवोवी सिंह चर्च के इस शडयंत्र को अच्छी तरह समझते हैं इसलिए उन्होंने
मोहबा को इन जिलों में स्थित उसके गाॅव में जाने की अनुमति नहीं दी । नागालैंड में
चर्च की अगुवाई में मणिपुर को जाने वाले दोनों राजमार्गाे को घेर लिया और वहा
आवाजाही बंद कर दी । इन राजमार्गों के बंद होने से एक प्रकार से मणिपुर की प्राण
रेखा अवरूध हो गई वहाॅ खाने पीने के चिजों दवाईयों और हर प्रकार के समान का संकट
शुरू हो गया । नागालैंड में चर्च द्वारा मणिपुर की यह घेरा बंदी 11 अप्रैल को
प्रारम् हुई थी लेकिन केन्द्र सरकार ने इसका नोटिस लेना जरूरी नहीं समझा क्योंकि
नोटिस लेने का अर्थ होता नागालैंड में चर्च को और इटली में पोप को नाराज करना ।
दिल्ली में हरियाणा के लोगों ने एक दिन के लिए मार्ग बंद करके पानी की किल्लत पैदा
की थी । केन्द्र सरकार ने दूसरे दिन ही बल प्रयोग करते हुए और बातचीत का रास्ता
अपनाते हुए स्थिति सामान्य कर दी परन्तु मणिपुर
दिल्ली नहीं है और इम्फाल में दिल्ली जैसे धन्ना सैठ और राजनीति में शातिर
लोग नहीं रहते । वहाँ सीधे साधे और ले मैतयी लोग रहते हैं । जो तमाम प्रलोनों के
बावजूद अपनी आस्था को नहीं छोड़ रहे । क्योंकि वे अपनी आस्था नहीं छोड़ रहे इसलिए ारत
सरकार ने उन्हें नागालैंड के चर्च के रहमोंकरम
पर छोड़ दिया ।
मणिपुर की घेरा बंदी का यह बांध 2 महीने से ी ज्यादा देर तक चला और 18 जून को
तथाकथित रूप् से समाप्त हुआ । परन्तु उसका समाप्त होना कागजों पर ज्यादा है और
धरातल पर कम मणिपुर से ट्र्क डाईवर ट्र्क लेकर बाहर नहीं जा रहे क्योंकि उनका कहना
है अलगाववादी संगठनों के चर्च समर्थित गुंडे उनसे जबरदस्ती वसूली ी करते हैं और
विरोध करने पर हत्या ी कर देते हैं । सहज कल्पना की जा सकती है िकमणिपुर किस नरक में से गुजर रहा है । परन्तु
न तो ारत के प्रधानमंत्री के पास समय है और न ही गृह मंत्री चिदंम्बरम के पास
होसला है िकवह मणिपुर जा कर वहाँ के लोगों
का दुःख दर्द समझते । अलब्बता ारत सरकार नागालैंड को आजाद करवाने का स्वप्न पाले
टी0 मोबहा से एक और बातचीत करने की तैयारी कर रही है । ारत सरकार का रवैया उसी
प्रकार है जब वह ारत माता की जय कहने वाले जम्मू वासियों पर बंदूक की गोली चलाती
है और ारत मुर्दाबाद कहने वाले कष्मीरी आतंकवादियों को तुश्ट करने का प्रयास करती
है । मणिपुर में जय कृश्ण कहने वालों को घेर रही है और नागालैंड में ारतीय
सैनिकों पर गोली चलाने वालों के आगे मिमिया रही है ।
(नवोत्थान लेख सेवा हिन्दुस्थान समाचार )
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