Tuesday, 14 January 2014

ईसा मसीह फिर आए लेकिन नोबो के माध्यम से:

 डा. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री
ईसा मसीह को लेकर ारत में विवाद थमता नजर नहीं आ रहा। अी पिछले दिनों द विंसी कोडफिल्म ारत में दिखाई गई थी तो अनेक राज्य सरकारों के चेहरे लाल हो गए थे। द विंसी कोडफिल्म में यह कहा गया थाकि ईसा मसीह को न तो क्रास पर लटकाया गया था और न ही उन्हें उस प्रकार शहीद किया गया था, जिस प्रकार चर्च सारी दुनिया को बता रहा है। इस ऐतिहासिक उपन्यास के लेखक का मत था कि ईसा मसीह ने शादी ी की थीऔर उनके बच्चे ी हुए थे और उन्होंने एक सामान्य जीवन जीया था। ारत में अनेक राज्यों की कांग्रेस सरकारों ने इस फिल्म पर प्रतिबंध ही लगा दिया। आखिर कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी है जो खालिस रोम की रहने वाली हैं। कांग्रेसी मुख्यमंत्री सोनिया गांधी की हाजिरी में ईसा मसीह के बारे में इस प्रकार की बातें कैसे सुन सकते थे? लेकिन धीरे-धीरे यह बात ठंडी होती जा रही थी कि अब ईसा मसीह को लेकर एक बार फिर विवाद नए रूप में सामने आ रहा है।
लखनऊ के लाॅरेटो पब्लिक स्कूल में यीशु मसीह के एक उपासक नब कुमार ने दावा कर दिया कि उसमें ईसा मसीह की आत्मा आ गई है। वह मंच पर ही घूम-घूम कर बचकानी हरकतें करने लगा। एक अखबार के अनुसार- बच्चों को इकट्ठा किया गया। फादर सेबस्टीन ने नब कुमार को पेश किया और कहा कि इसके अंदर प्रु यीशु प्रवेश करेंगे । वह सबको आर्शीवाद देंगे। फादर ने धार्मिक अनुष्ठान किया। उसके बाद नब कुमार डरावनी आवाजें निकालने लगा और अजीब सी हरकतें करने लगा। इस पर कई बच्चियां बेहोश हो गई।स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां घबरा गईं। लेकिन नब कुमार उनके सिरों पर पवित्र पानी छिड़क रहा था और उन्हें हर हालत में ईसा मसीह से साक्षात्कार कराने के लिए आमादा था । स्वााविक ही स्कूल में गदड़ मची। लेकिन स्कूल के प्रबंधक ी पहुँचे हुए आध्यात्मिक पुरूष ठहरे । वे ी अपने वचनों पर कायम थे। स्कूल की पिं्रसीपल का कहना था कि स्कूल के बच्चों की आध्यात्मिक उन्नति का जिम्मा ी उन्हीं का है। इसलिए नब कुमार द्वारा की जाने वाली ये हरकतें उचित हैक्योंकि ये बच्चों को आध्यात्मिक उन्नति के सोपान पर ले जाती हैं। लेकिन बच्चे शायद आध्यात्मिक उन्नति की इतनी ज्यादा सीढि़यां चढ़ने के लिए तैयार नहीं थे। इसलिए वे घबरा रहे थे और चिल्ला रहे थे। स्कूल वालों के लिए तो यह मानो एक उत्सव पर्व ही था। अी तक स्कूल में ईसा मसीह के एजेन्ट पादरी, विशप इत्यादि ही आते जाते थे। इस बार साक्षात ईसा मसीह खुद ही पहुँच गए। चाहे वे नब कुमार के शरीर के माध्यम से ही प्रकट हुए थे। लेकिन महापुरूषों का तो किसी ी ेष में आ जाना ही लाकारी होता है। हिन्दुस्थान समाचार के कोलकाता के संवाददाता श्री किंशुक पल्लव विश्वास ने नब कुमार के बारे में कुछ रोचक जानकारियां जुटाई हैं। ‘‘लखनऊ  के लारेटो विवाद का मुख्य सूत्रधार नब कुमार मण्डल है जिसे  मुर्शिदाबाद के बहरामपुर चर्च के फादर सेबस्टीन कझीपाला ने यीशु के प्रतिनिधि के तौर पर समाज में प्रचारित किया । यह तथाकथित चमत्कारी व्यक्ति नादिया जिले में शान्तिपुर में चांदरा गाँव का रहने वाला है । 1999 तक वह रिक्शागाडी चलाता था और आस पास के क्षेत्रों में सब्जी बेचता था । नब कुमार मण्डल एक विकलांग और बीमार व्यक्ति था । 
नब कुमार  ने प्रचारित किया कि उसकी दोनों किडनी खराब हो गई थीं परन्तु एक रात यीशु और मेरी उसके सपनों में आये और एक गिलास पानी देकर उसे पीने को कहा। पानी पीते ही वह स्वस्थ हो गया । नब कुमार ने ये बातें अन्य गाँववालों को बतानी शुरू कीं । यद्यपि गाँव के स्थानीय अध्यापक  ने इस पर आश्चर्य जताया कि दोनों किडनी खोकर कोई कैसे जी सकता है परन्तु स्थानीय गाँव वाले नब कुमार के पास अपने इलाज के लिये आने लगे । नब कुमार फादर सेबस्टीन की सहायता से मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर सप्ताह में एक दिन जाने लगा।  सांपों के  इस क्षेत्र में नब कुमार ने अपना जादू दिखाना शुरू किया क्योंकि उसे पता था कि अधिकांश सांप जहरीले नहीं होते । 17 सितम्बर को दिलीप हलदर को जहरीले सांप ने काट लिया और नबकुमार ने अपना जादुई पत्थर लगाया परन्तु उसकी हालत बिगड़ती गई और अस्पताल जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई । नब कुमार के यीशु के प्रतिनिधि या शरीर में यीशु के प्रवेश करने के दावे पर स्थानीय गाँव वालों के बीच स्थानीय विज्ञान क्लबों ने जागरूकता अियान ी चलाया । बारह विज्ञान क्लबों ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में नब कुमार के विरूद्ध ज्ञापन ी दिया था । शान्तिपुर पुलिस स्टेशन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की । बाद में पता चला कि रिपोर्ट न लिखने के पीछे स्थानीय सŸााधारियों का दबाव था । फादर सेबस्टीन और सŸााधारी दल क सहयोग से नब कुमार शक्तिशाली होता गया । इस बीच उसने अपनी जादुई चिकित्सा और यीशु पर एक पुस्तिका छापी । एक स्थानीय पत्रकार ने आरोप लगाया कि इस पुस्तिका के प्रकाशन में प्रिन्टिंग कानून का उल्लंघन किया गया था । नब कुमार ने ने चांदरा गाँव में फातिमा और पवित्र वन नाम से चर्च बना लिया और  देखाल के लिये एक व्यक्ति को नियुक्त किया । नब कुमार के साथ रिक्शा गाड़ी चलाने वाले उसके पूर्व मित्र और इस्लाम से ईसाई बने आसान विज ने नब कुमार को ऐसी हरकतें करने से रोका और  न मानने पर  नबकुमार की इस फर्जी चिकित्सा के विरूद्ध गाँववालों को जागरूक करना शुरू किया । आसान को अनेक झूठे मामलों में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया । इस समय वह जमानत पर है । ’’
वैसे तो यह ारत का सौाग्य हैकि पहले इस देश की ौतिक उन्नति के लिए रोम से सोनिया गांधी आईं और अब आध्यात्मिक उन्नति के लिए साक्षात ईसा मसीह ही प्रकट हो गए। इस युगान्तरकारी घटना पर ारत का मीडिया ी स्तब्ध है। मानस में गोसाईं जी कहते है उसकी कृपा हो जाए तो गूंगा बोलने लगता है। इधर मामला कुछ उल्टा है। वेटिकन के इन नए आध्यात्मवादियों की कृपा से ारत का मीडिया बोलते-बोलते अचानक गूंगा हो गया है। पीछे गणेश जी के दूध पीने की चर्चा चली थी। तीर्थंकर की मूर्ति से पानी निकलने की चर्चा ी चली थी। तब सारे मीडिया की हालत देखने लायक होती थी। इलेक्ट्राॅनिक मीडिया इस घटना की खबर देने के बाद तुरंत उछलना शुरू कर देते थेऔर ऊंची-ऊंची आवाज में चिल्लाते हुए गला बिठा लेते थेकि यह अंधविश्वास की पराकाष्ठा है।  ारतीय समाज अी ी मध्यकाल में जी रहा है। मीडिया के कई लोग तो कई दिन इसी दुःख में रोते रहे कि पढ़े-लिखे लोग ी मंदिर के आगे लाइन लगाकर खड़े हैं। लेकिन लगता है अब लखनऊ के लाॅरेटो पब्लिक स्कूल में ईसा मसीह के आगमन की घोषणा करने वालों के मामले में वे गूंगे हो गए हैं। हो सकता है मीडिया की ी आध्यात्मिक उन्नति हो रही हो। कोई यह कहने को तैयार नहीं हैकि यह पाखंड और धूर्तता की पराकाष्ठा है। स्कूल के छोटे-छोटे बच्चों को रहस्यवादी मनोवैज्ञानिक क्रियाओं द्वारा उलझाने और डराने का षड़यंत्र है।
पता चला है इधर सरकार ने एक ऐसा कानून ी बना रखा हैकि जो इस प्रकार के अंधविश्वासों और पाखंड को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही का प्रावधान करता है । लेकिन अी तक ऐसी कोई खबर नहीं आई है कि सोनिया गांधी की सरकार इस अनोखे नब कुमार के खिलाफ कोई कार्यवाही करने की सोच रही हो। देश र में फैले हुए चर्च और उनके द्वारा चलाए जा रहे स्कूल एवं अन्य संस्थाएं बाल मानस में अंधविश्वास तो जगा ही रहीं हैं, साथ ही उनके मन में छोटी उम्र में ही ईसा मसीह का य बैठा रही हैं। चर्च ने पता नहीं नब कुमार जैसे कितने एजेन्ट ारत वर्ष में छोड़ रखे हैं, जो जगह-जगह यीशु के नाम पर अंधों को रोशनी प्रदान करने का दम् र रहे हैंऔर लंगड़ों को दुड़की चाल में दौड़ा रहे हैं। कर्नाटक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री रह चुके धर्म सिंह ने तो अपने कार्यकाल में चर्च के एक ऐसे ही एजेन्ट हैनरी बिन को बुलाया था जो मंच पर उछलकूद कर लोगों का कैंसर दूर करने का दावा कर रहा था। आश्चर्य की बात यह थी कि कर्नाटक का सारा मंत्रिमंडल हैनरी बिन की जी हजूरी में हाथ बांधकर खड़ा नजर आ रहा था। लाॅरेटो पब्लिक स्कूल की पिं्रसिपल की ॰ष्टि में तो नब कुमार एक बहुत पहुँचा हुआ संत है। हो सकता है वह हैनरी बिन से ी बड़ा संत हो। लेकिन पिं्रसिपल का दुर्ाग्य है कि नब कुमार के ीतर आए हुए ईसा मसीह के नाम से बच्चे यीत हो रहे थे, शांति का अनुव नहीं कर रहे थे। अब अपने देश में सोनिया गांधी है, हैनरी बिन है और अब ये एक नई चीज नब कुमार ी है। तो देश के लोग निश्चय ही यीत होंगे। शांति का अनुव तो नहीं कर सकते।  लेकिन इटली और वैटिकन में तो निश्चय ही शांति का ही अनुव किया जा रहा होगा, क्योंकि उनके ेजे हुए नब कुमार अपने काम ठीक ढंग से अंजाम दे रहे हैं।
वैसे नब कुमार के माध्यम से ईसा मसीह के ारत आने का एक और कारण ी हो सकता है। ईसा मसीह ने जिस ईसाई समाज का निर्माण किया थाउसमें कोई जाति नहीं है। परन्तु इधर विशपों ने ारत सरकार को एक लम्बा ज्ञापन दिया हैकि ईसाई समाज में अनेक जातियां हैंऔर कई जातियां तो अछूत हैं। हो सकता है कि विशपों ने यह ज्ञापन ी सरकार के कहने पर ही दिया हो क्योंकि सोनिया गांधी की सरकार ने ज्ञापन के मिलते ही या एक प्रकार से उससे पहले ही ईसाई समाज में अछूत जातियों की पहचान करने और उन्हें आरक्षण देने के प्रश्न पर संस्तुति करने के लिए एक आयोग का गठन कर दिया। अब हो सकता है कि यीशु ने अपने विशपों और कार्डिनलों द्वारा ईसाई मत के इस अपमान से दुःखी होकर स्वयं ारत आने का निर्णय कर लिया हो । उन्हें आशा होगी कि उन्हें अपने बीच में पाकर तो विशप यह मान लेंगे कि ईसाई समाज में कोई जाति नहीं है। परन्तु यदि ऐसा ी है तब ी ईसा को निराशा ही हाथ लगेगी, क्योंकि कार्डिनल और विशप ारत को बांटने के साम्राज्यवादी कार्य में जुटे हुए हैं । ईसा मसीह तो उनके लिए केवल एक माध्यम ही है।
(हिन्दुस्थान समाचार)

9.19.2006


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