Tuesday, 14 January 2014

रामसेतु के हलफनामे पर भारत ने दिया जवाब

: डा. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

दिनांक: 12 सितंबर 2007
स्थान: नई दिल्ली

सरकार राम के बनाए हुए रामसेतु को तोड़ने के लिए वजिद है और ारत की जनता उसे बचाने के लिए अड़ी हुई है। रामसेतु बनाने के बाद राम ने विष्य के राजाओं से याचना की थी कि ‘‘हे राजाओ ! यह रामसेतु मेरे लिए बहुत पवित्र है इसलिए मैं तुमसे यह याचना करता हूँ कि इसकी हर हालत में रक्षा करना।’’ राम ने जब यह याचना की थी तब उनके मन में यह तो शायद नहीं आया होगा कि इस सेतु को किसी दिन राम के देश का राजा ही तोड़ने के लिए कमर कस लेगा। राम शायद काल के प्रवाह में रामसेतु के नष्ट होने की चिंता को लेकर विष्य के राजाओं से याचना कर रहे थे। इसे ारत के इतिहास की त्रासदी ही कहना चाहिएकि काल का प्रवाह तो रामसेतु को नष्ट नहीं कर सका परंतु राम के  देश की सरकार उसे नष्ट करने पर आमादा है। सरकार के इसी रूख को देखते हुए सर्वाेच्च न्यायालय ने उसे इस विषय में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया था।
10 सितंबर को सोनिया गांधी की सरकार ने एक प्रकार से ारत के इतिहास को लेकर सर्वाेच्च न्यायालय में अपना हलफनामा दायर कर दिया है। 400 पृष्ठों के इस हलफनामे के अनुसार ारतीय इतिहास की नई व्याख्या की गई है। यह एक प्रकार से सोनिया गांधी की सरकार का ारत को लेकर इतिहासनामा है। सोनिया गांधी की सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय में रहस्योद्घाटन किया है कि ारत में राम नाम का कोई व्यक्ति नहीं हुआ था। जब राम ही नहीं हुआ तो सारी रामकथा ही गप्प हुई। जब रामकथा ही नहीं हुई तो कहां का रामसेतु और कहां का रावण? यदि सोनिया गांधी की सरकार के इस हलफनामे पर विश्वास कर लिया जाए तो न कोई राम था, न रावण था, न अयोध्या थी, न सीता थी, न लक्ष्मण था, न रत था, न दशरथ था, न कौशल्या थी। न राम जन्मूमि है, न राम कर्मूमि है तो कहां की रामनवमी और कहां की विजयदशमी । मैं इसे ारत सरकार द्वारा दायर किया हुआ हलफनामा नहीं कह सकता क्योंकि ारत की सरकार ारत के इतिहास से इस प्रकार बालात्कार नहीं कर सकती। यह या तो ब्रिटिश सरकार कर सकती थी या फिर इटालवी कन्या सोनिया गांधी की सरकार कर सकती है। सोनिया गांधी का यह ारत के इतिहास पर करारा तमाचा ही नहीं बल्कि ारत के पूर्वजों का अपमान ी है। इसे क्या कहा जाए कि जिस राम की गाथा ारत समेत सारे एशिया के लोकगीतों में ी समा गई है, थाईलैण्ड के राजा अपने आप को रामवंशज मानते हैं, गुरु गोबिंद सिंह अपने आप को राम का वंशज स्वीकारते हैं, महर्षि बाल्मिकी द्वारा राम के पुत्रों लव और कुश को अपने आश्रम में पालने की गाथा जगत प्रसिद्ध है, सोनिया गांधी की सरकार उसी राम को कपोल कल्पना और कोरी गप्प बता रही है। रामसेतु तोड़ने के लिए राम के अस्तित्व को ही नकाराना इस देश की सांस्कृतिक अस्मिता को समाप्त करने का एक गहरा अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र है जिसमें सोनिया गांधी बड़ी सफाई से अपनी ऐतिहासिक ूमिका अदा कर रही है। शायद योजना यह है कि ारतीय अस्मिता को प्रश्नित करके व्याप्त शून्य में वेटिकन के इशारों पर ईसाइयत की फसल उगाई जाए। क्योंकि सोनिया गांधी अच्छी तरह जानती है यदि ारत में यीशु मसीह और उसके सलीव को स्थापित करना है तो राम और रामसेतु दोनों को ही उखाड़ना होगा।
सोनिय गांधी की सरकार द्वारा ारत के  इतिहास को लेकर दायर किया गया हलफनामा उसकी विष्य की रणनीति को ी इंगित करता है। परंतु ारत की जनता ारत के इतिहास पर हुए इस प्रहार को न चुपचाप देख सकती थी और न ही उसने देखा। हलफनामा दायर करने की जैसे ही खबर फैली उसके तुरंत बाद 12 सितंबर को सारे ारत की जनता सड़कों पर उतर आई । रामेश्वरम से लेकर सुदूर हिमालय की चोटियों तक, कामाख्या देवी के आँगन में, गांतोक की सड़कों पर, जगन्नाथ पुरी से लेकर मुंबादेवी के प्रांगण तक, दशगुरुओं की ूमि पंजाब से लेकर गंगा यमुना के मैदानों तक, पाटलीपुत्र की नगरी में, गवान बिरसा मुंडा की जन्मूमि में, किŸाूर की रानी चेन्नाम्मा के कर्नाटक से परशुराम की धरती केरल तक मानो सारा ारत क्रोध से तनी मुट्ठियाँ लेकर रामसेतु बचाने का संकल्प लेता हुआ जनपथ पर उतर आया यह युद्ध वास्तव में जनपथ और राजपथ का युद्ध है। जनपथ का मार्ग राम का मार्ग है। वह मार्ग रामसेतु की ओर जाता है। रामसेतु ारत के जन-जन को जोड़ता है। उसमें आस्था का संचार करता है। विष्य के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। दुर्ाग्य से ारत के राजपथ पर न जाने किस घड़ी में ग्रहण लग गया था कि की उस पर मुगलों का कब्जा रहा, की अंग्रेजों का और हा हत् ाग्य आज उस पर इटली से आई सोनिया गांधी का कब्जा है। शायद यही कारण है कि यह राजपथ बार-बार ारत के जनपथ से िड़ता है। की यह राम जन्मूमि के मंदिर को तोड़ता है और की रामेश्वरम में बने रामसेतु पर आक्रमण करता है। लेकिन जिस देश का रक्षक स्वयं राम हो क्या वह की पराजित हो सकता है? अंग्रेजों ने इस देश का इतिहास अपने हितों की रक्षा के लिए लिखा था। आज शायद फिर इतिहास अपने आपको दोहरा रहा है। सोनिया गांधी और उसकी सरकार इस देश का नया इतिहास लिख रही है। उस इतिहास में से राम गायब है और सीता गायब है। यानि ारत के इतिहास में से ारत ही गायब है। यदि सोनिया गांधी का बस चले तो शायद इतिहास में लिख दिया जाएकि इस दुनिया में केवल ईसा मसीह पैदा हुए । न की राम पैदा हुए , न की कृष्ण पैदा हुए। सोनिया गांधी की सरकार राम को कपोल कल्पना सिद्ध करने के लिए और रामसेतु के अस्तित्व को नकारने के लिए ारतीयों को छोड़कर बाकी सी की राय पर विश्वास कर रही है। सरकार का कहना है कि नासा ने कह दिया है कि रामसेतु मानव निर्मित नहीं है, यह प्रकृति द्वारा निर्मित है । विदेशी विशेषज्ञों को सिर आँखों पर बिठाया जा रहा है और ारतीय विशेषज्ञों को कूड़ेदान में फेंका जा रहा है। लेकिन 12 सितंबर को ारतीय जन के अूतपूर्व प्रदर्शन ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि इस बार जो लड़ाई है वह बाबर के काल की नहीं है बल्कि 21वीं शताब्दी के काल की है। जिसमें ारत उतना कमजोर नहीं है जितना बाबर के काल में था। रामसेतु को लेकर छिड़ा यह युद्ध ही अंततः निर्णय करेगा कि इस लड़ाई में ारत की जनता जीतती है या फिर विदेशी शक्तियाँ। 12 सिंतबर को आगाज़ अच्छा हुआ है। इस राम संकल्प से रामसेतु ी बचेगा और ारत विदेशी शक्तियों के चंगुल में जाने से ी बच जाएगा। क्या सोनिया गांधी और उसके सूत्रधार ारतीय जन की यह हुँकार सुन रहे हैं?

(नवोत्थान लेख सेवा हिन्दुस्थान समाचार)

No comments:

Post a Comment